Sunday, March 24, 2013

ज़िन्दगी तेरे गम ने हमें रिश्ते नए समझाए...

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी
हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवालों से
परेशान हूँ मैं

जीने के लिए सोचा ही नहीं
दर्द संभालने होंगे
मुस्कुराये तो मुस्कुराने के
क़र्ज़ उतारने होंगे
मुस्कुराऊं कभी तो लगता है
जैसे होंठों पे क़र्ज़ रखा है
तुझसे...

ज़िन्दगी तेरे गम ने हमें
रिश्ते नए समझाए
मिले जो हमें धूप में मिले
छाँव के ठण्डे साये
तुझसे...

आज अगर भर आई है
बूंदे बरस जाएगी
कल क्या पता किनके लिए
आँखें तरस जाएगी
जाने कब गुम हुआ, कहाँ खोया
इक आंसू छुपा के रखा था
तुझसे...

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हर गडी बदल रही रूप जिन्दगी...