Sunday, March 24, 2013

मगर हम हमेशा तुम्हारे रहेंगे...चले आज दोनों, जाने कहाँ..

न ये चाँद होगा न तारे रहेंगे
मगर हम हमेशा तुम्हारे रहेंगे

बिछड़कर चले जाएं तुमसे कहीं
तो ये ना समझना मुहब्बत नहीं
जहाँ भी रहे हम तुम्हारे रहेंगे

ज़माना अगर कुछ कहे भी तो क्या
मगर तुम न कहना हमें बेवफ़ा
तुम्हारे लिये हैं तुम्हारे रहेंगे

ये होगा सितम हमने पहले न जाना
बना भी न था, जल गया आशियाना
कहाँ अब मोहब्बत के मारे रहेंगे

न तुम हमें जानो, न हम तुम्हें जानें
मगर लगता है कुछ ऐसा, मेरा हमदम मिल गया

ये मौसम ये रात चुप है, ये होंठों की बात चुप है
खामोशी सुनाने लगी, है दास्तां
नज़र बन गई है, दिल की ज़ुबां

मुहब्बत के मोड़ पे हम, मिले सबको छोड़ के हम
धड़कते दिलों का ले के ये कारवां
चले आज दोनों, जाने कहाँ

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हर गडी बदल रही रूप जिन्दगी...