Saturday, December 30, 2017

I am still going through bad times — things have been tough for years.

I am still going through bad times — things have been tough for years. though I don’t have a single readymade. Still a process, definitely. Not getting a job, still looking for a job, work. I do my best and recover from this situation, will get back to every my well-wishers” Give me some time to recover, I never give up. I do my best, I bounce back, I can do it. Yes, I 'll be Winner.

Wednesday, October 18, 2017

आपके हृदय का भाव

जैसे आप किसी के प्रेम में पड़ जाते हैं, कोई
तर्क नहीं होता। और अगर कोई तर्क करने चले, तो आप सिद्ध न कर पाएंगे कि आपके प्रेम का कारण क्या है। और जो भी बातें आप कहेंगे, वस्तुत: असार होंगी। जैसे आप कहेंगे कि जिस व्यक्ति को मैं प्रेम करता हूं वह बहुत सुंदर है। लेकिन किसी और को वह सुंदर मालूम नहीं पड़ता, बस आपको ही मालूम पड़ता है। सचाई कुछ उलटी है। आप, सुंदर है इसलिए प्रेम करते हैं, ऐसा नहीं है। आप प्रेम करते हैं, इसलिए वह व्यक्ति सुंदर दिखाई पड़ता है। आपके प्रेम ने ही उसे सुंदर बना दिया है। सौंदर्य कोई वस्तुगत घटना नहीं है, आपके हृदय का भाव है। हम सुंदर को प्रेम नहीं करते हम जिसे प्रेम करते हैं, वह सुंदर हो जाता है। प्रेम हर चीज को सुंदर कर देता है।

Wednesday, June 8, 2016

काय लिहीवे ? कोठून सुरुवात करावी ?

काय लिहीवे ?
कोठून सुरुवात करावी ?

कविता ? लेख ? का अजून काही ?

खूप दिवस झाले काही लिहिलेच नाही …. खूप काही लिहियाचे आहे …

सुख : दुख लिहीयाचे आहे …
स्पष्ट विचार हि लिहियाचे आहेत…
काही गोष्टीचा निषेद हि नोंदवायचा आहे …

लवकरच सुरुवात करणार आहे …।

मी येत आहे अजून सुंदर काही घेवून वाचनासाठी ….

नक्की तुम्हाला आवडेल ….प्रतिक्रिया नक्की कळवा ….

ई मेल : mr.manojvgobe@gmail.com 

Wednesday, November 19, 2014

जय हरी विठ्ठल.

जय हरी विठ्ठल.


कर जोडोनियां पुढें । लोटांगण टाकिलें गाढें ।
म्हणे स्तवन करावया मी वेडें । काय जाणे तुझा महिमा ॥१॥
तरी पांडुरंगा तूं दयाळु । भक्त भाविकां कृपाळु ।
भीमातटीं उभा गोपाळु । पुंडलिकाकरणें ॥२॥
चंद्रभागा सरोवरीं । निरे भिवरेचां तिरिं ।
वाट पाहसी हरी । भक्तासाह्या कारणें ॥३॥
तरी उदार शूर महिमेचा । खुंटलिया चारी वाचा ।
तेथ पवाडु मज कैंचा । वर्णाविया सामर्थ्य ॥४॥
शेषा ऐसा स्तुती करी । तया नाकळ्सीच श्राहरि ।
जिव्हा चिरलिया भग्नधारी । मग मौन्येंचि राहिला ॥५॥
तो तूं अळंकापुरीं येसी । मज दीना समोखिसि ।
देव म्हणे तूं होसि । साक्षात ज्ञानरुप ॥६॥
ज्ञानदेवो साक्षात नाम तुझें । तें ज्ञान ह्रदयीचें माझें ।
हे जन तारावया काजें । तुवां अवतार घेतला ॥७॥
नामा म्हणे देव हरी । पुढतोपुढतीं साहाकारी ।
वर देऊनि अंगिकारी । आपणची जाला

Wednesday, June 18, 2014

दर मिनिटाला एका पित्याची आत्महत्या

म. टा. प्रतिनिधी, नागपूर 


स्वार्थी, अहंकारी, दारूडा, दुर्गुणांचा पुतळा, कुचकामी, असे शिक्के मारून पुरुषाला नेहमीच आरोपीच्या पिंजऱ्यात उभे केले जाते. त्यामुळे निराशेच्या गर्तेत अडकत असलेल्या पुरुषांच्या आत्महत्यांचे प्रमाण वाढत आहे. केंद्रीय गृहमंत्रालयाने जाहीर केलेल्या नॅशनल क्राइम ब्यूरो रेकॉर्डच्या आकडेवारीत ही बाब स्पष्ट झाली आहे. वर्षभरात ६२ हजार ४३३ विवाहित पुरुषांनी आत्महत्या केल्याची नोंद एनसीआरबीने घेतली आहे. सरासरी काढली तर रोज २०० च्या आसपास पुरुष जीवनयात्रा संपवितात. दर आठ मिनिटाला एक पुरुष आत्महत्येचा मार्ग अवलंबतो. महिलांमध्ये हेच प्रमाण ३२,५९२ आहे. महिलांच्या तुलनेत पुरुषांच्या आत्महत्येचे प्रमाण दुपटीने अधिक असूनही या समस्येवर गांभीर्याने विचार होत नाही. 

पुरुषांच्या विरोधातील कायदे 

महिलांना मालमत्तेत ५० टक्के अधिकार घरगुती हिंसाचार कायदा फौजदारी प्रकरण संहिता १२५ हिंदू विवाह कायदा भादंवि ४९८ (अ) हुंडाविरोधी कायदा मुलांचा ताबा सोडण्याचा कायदा हिंदू दत्तक आणि पोटगी कायदा 

मेन्स वेलफेअर असोसिएशनच्या पाहणीतून समोर आलेले निष्कर्ष 

८५ टक्के पुरुष हक्कांविषयी अनभिज्ञ 

दर १२ पुरुषांमागे एकजण घटस्फोटित विवाहानंतरच्या समस्यांची फक्त चार टक्के पुरुषांना कल्पना ८७ टक्के पुरुषांना पालकांची चिंता ६७ टक्के पुरुष आपल्या समस्यांची चर्चा कुटुंबाशी करीत नाहीत ९२ पुरुषांचा कुटुंब विभक्त करण्यास विरोध पुरुषांमध्ये कौटुंबिक समस्यांचे प्रमाण ५० टक्के कौटुंबिक कलहामुळे ५२ टक्के पुरुष पत्नीपासून संबंधाला पारखे 

पुरुषांवरील वचपा काढण्यासाठी, त्याला बदनाम करण्यासाठी, स्वतःच्या इगोसाठी, पैसे उकळण्यासाठी कायद्यांचा गैरवापर होतो. महिलांनी तक्रार केली तर चौकशीही न करता पुरुषांना तुरुंगात डांबले जाते. त्यांची बाजूही ऐकून घेतली जात नाही. त्यामुळे इभ्रत जाते; परिणामी २०१२ मध्ये देशात ६५ हजार पुरुषांनी आत्महत्या केल्या. महिलांचा छळ रोखण्यासाठी १९८३ मध्ये घटनादुरुस्तीद्वारे भारतीय दंड विधानात ४९८ (अ) कलम समाविष्ट केले गेले. त्यानंतरच पुरुष आत्महत्येचे प्रमाण वाढले. सरकारने या कलमात सुधारणा करणे आवश्यक झाले आहे. 

-राजेश वखारिया, ऑल इंडिया मेन्स वेल्फेअर असोसिएशन.

Monday, June 3, 2013

InetSoftS ISS: Promises, Commitment

InetSoftS ISS: Promises, Commitment

Ø Passion for Rising Strong IT Business.

Ø Our Business Knowledge, Your Business Growth.
Ø Honest, Relationship, Commitment & Trust this is the Foundation of our growth.
Ø Our Focus is Our Client's Success.
Ø Miles to go before we Sleep, We have promises to keep.
आम्हांला ivaEaaMtI GaoNyaapuvaI- Anaok maOla caalaayacao Aaho¸ AamacaI vaaTcaala saMplaolaI naahI¸ karNa idlaolaI
vacanao आम्हांला paLayacaI Aahot.
Ø To think only of the best, to work only for the best and to expect only the best.
Ø We change Manual work into computerized autonomous system.
Ø To be strong that nothing can disturb our peace of mind.
Ø To talk health, happiness, and prosperity to every person I meet.
Ø To make all our clients feel that there is something worthwhile in them.
Ø To look at the sunny side of everything and make our optimism come true.
Ø To be just as enthusiastic about the success of others as I am about my own.
Ø To forget the mistakes of the past and press on to the greater achievements of the future.
Ø To wear a cheerful expression at all times and give a smile to every living creature I meet.
Ø To give so much time to improving ourself that I have no time to criticize others.
Ø  To be too large for worry, too noble for anger, too strong for fear, and too happy to permit the presence of trouble.
Ø To think well of ourself and to proclaim this fact to the world, not in loud words, but in great deeds.
Ø To live in the faith that the whole world is on our side, so long as I am true to the best that is in me.
 We prefer Collaboration

Ø maaNasaacyaa manaat tIv`a [cCaSa@tI Asaola tr tao AaplaI klpnaa P`a%yaxaat AaNaU Saktao.
Ø AayauYyaat kahI imaLvayaacao Asalyaasa kYT va ijad\dIlaa pyaa-ya naahI.
Ø  savaao-cca pdavar jaaNyaasaazI mah%takaMxaa hvaI¸ dusaryaavar raga na Qarta svat:laa GaDvat rhayacao¸ kama tDIsa nao[-pya-Mt svasqa basaayacao naahI.
Ø naiSabaat Asaavao laagat naahI tr AapNa to AaNaavao laagato va to Aaplyaaca hatat Aaho hoca Kro.
Ø ibaiJanaosamaQyao qaaMbauna caalat naahI. tumhI ekda qaaMbalaat kI saMplaat.
I’M SMART, S- Specific( yaaogya)M- Measurable( maaojata yaoNaaro) Achievable(saaQya krNyaasaarKo)
R-Realistic(sa%yaacyaa javaLcao) T- Time Bound(vaoLocaI mayaa-da saaMBaaLNaaro)
v You were born to win, but to be winner, you must plan to win.
Ø Thing Big, Thing Fast, Think Ahead, Ideas are no one’s monopoly.
Ø Our dreams have to be bigger, our Ambitious higher, our commitment deeper, our efforts greater.
Ø You do not require an invitation to make profits.
Ø If you work determination and perfection, success will follow.
Ø Meeting the deadline is not good enough, Beating the deadline is our expectation.
Ø Dont give up, courage is our conviction.
Ø You are the only one who creates your reality.
Ø Old concept- Do or Die, New One- Do B4 U Die, Latest Concept- DON’T DIE, UNTIL U DO.
Ø Avoid  2 things “Comparing” & “Expectation”, from other people.
Ø How high I aim, how much I see, How far I reach depends on me.
Ø God helps those who help themselves.

Ø Where there is will there is a way.
Ø To error is human, Trial & Error Method.
Ø Nothing succeeds like success.
Ø Customer is always right.
Ø A Stitch in time saves nine.
Ø The courage of your own conviction or faith in your dreams.
Ø A firm faith in the future and the ability to accept and be prepared for change.
Ø Success is a journey, not a destination.
Ø Lage raho, lage raho, LAGAN SE.
Ø THINK, ASK , DO., LEARN, COMMIT, DO, ACTION.
Ø Time management is life management.
Ø When you have inspired thought, you have to trust it, and you have to act on it., man become what he think about.
Ø Always think positive, expect less, be happy never stop until goal is achieved, definitely all the years ahead you will spend happily!!
Ø A man is not finished when he is defeated, he is finished when he quits.

·       We r grateful & celebrate every day. We create our own universe as we go along.




Wednesday, May 22, 2013

मुझे तुम कभी भी भुला न सकोगे।

देता आलं असत तर 

नक्कीच मी दिल असत 
तुझ्या नावावर सार 
आयुष्यचं केलं असतं 
घेतां आलं असतं  तर 
दुख तुझ घेतलं असत 
माझ्या  ओंजळीत ल सुखही
तुझ्या ओंजळीत ओतलं असतं 

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मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो

मुझे तुम कभी भी भुला न सकोगे।

न जाने मुझे क्यों यक़ीं हो चला है

मेरे प्यार को तुम मिटा न सकोगे।

मेरी याद होगी जिधर जाओगे तुम

कभी नग़मा बन के, कभी बन के आँसू।

तड़पता मुझे हर तरफ पाओगे तुम।


शमा जो जलाई है मेरी वफ़ा ने

बुझाना भी चाहो बुझा न सकोगे।

कभी नाम बातों में आया जो मेरा

तो बेचैन हो-हो के दिल थाम लोगे।

निग़ाहों में छाएगा ग़म का अँधेरा।

किसी ने जो पूछा सबब आँसुओं का

बताना भी चाहो बता न सकोगे।


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अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको


मैं हूँ तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझको।

मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के माने

ये तेरी सादा-दिली मार ना डाले मुझको।

ख़ुद को मैं बाँट ना डालूँ कहीं दामन-दामन

कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको।

बादाह फिर बादाह है मैं ज़हर भी पी जाऊँ ‘क़तील’

शर्त ये है कोई बाहों में सम्भाले मुझको।

Monday, May 13, 2013

ढूंढ ही लोगे मुझे तुम हर जगह ...

कौन मेरा, मेरा क्या तु लागे

क्यूँ तु बांधे, मन के मन से धागे
बस चले ना क्यूँ मेरा तेरे आगे

ढूंढ ही लोगे मुझे तुम हर जगह 

अब तोमुझको खबर है
हो गया हूँ तेरा जब से मैं

हवा में हूँतेरा असर है
तेरे पास हूँ एहसास में, मैं याद में तेरी
तेरा ठिकाना बन गया अब सांस में मेरी

छोड़ कर ना तु कहीं भी दूर अब जाना, 
तुझको कसम है साथ रहना जो भी है
 तु झूठ या सच है, या भरम है
अपना बनाने का जतन कर ही चुके 

अब तो बैय्याँ पकड़ कर आज चल, 
मैं दूं बता सबको मेरा क्या तु लागे
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रब रूठे या जग छूटे

जां रूठे या ज़हन ये छूटे
यार मेरे, ऐतबार मेरे
पर तुझ संग लगी
लगी  ना छूटे


मांग लिया है सब कुछ मैंने
मांग लिया है जब तुझको
प्यार वफ़ा का काशी काबा
मान लिया है अब तुझको
ये भी पता है सच तु ही है
लोग हैं सारे बस झूठे
यार मेरे, ऐतबार मेरे...

ख़ाक बना दे अब तु चाहे
पाक बना दे चाहे तु
उफ़ ना करूँगा भूले से भी
अब मैं हवाले तेरे हूँ
हो ईद सा होगा वो पल जब तु


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मुझ में तु, तु ही तु बसा
नैनों में जैसे ख़्वाब सा
जो तु ना हो तो पानी पानी नैना
जो तु ना हो तो मैं भी हूँगा मैं ना
तुझी से मुझे सब अता

इश्क आशिकी में, कुछ लोग छांटता है
ज़ख्म बांटता है, उन्हें दर्द बांटता है
तोड़ देता है ख़्वाब सारे देखते देखते
कर दे बर्बाद सा

सफर दो कदम है, जिसे इश्क लोग कहते
मगर इश्क वाले, सब सफर में ही रहतेखत्म होता न उम्र भर ही, इश्क का रास्ता
है ये बेहिसाब सा

Wednesday, May 8, 2013

कधी उभं आयुष्य संपवून जाते....तुझी वाट पाहण्यात..

कधी उभं आयुष्य संपवून जाते
चार दिवसात,
अन् कधी संपता संपत नाही 
विरहाची एकरात्र..
कधी निखारे पचवून घेतो, चकोर 
चंद्राच्या प्रेमात 
अन् कधी अडकून जातो भृंग कमळाच्या पाकळ्यात..
कधी वेळ कसा जातो कळतच नाही तुझ्या सहवासात, 
अन् कधी आयुष्य निघुन जाते 
तुझी वाट पाहण्यात..






त्या तनूला सत्य कैसे, स्वप्न का ना मानता

जे दिसे प्रत्यक्ष सारे त्या भ्रमाला जाणता,

वेगळे मी स्वप्न खोटे का पहावे झोपता...

का उद्याची झोकुनी ग्वाहीच देती बावळे,
नष्ट हो एका क्षणी जे काळ त्यांचा कोपता...

धर्म किंवा नीतिच्या का सांगती गप्पा कुणी,
जे दयेचे कर्म केले, गर्व त्याचा दावता...

त्यागवैराग्यास सांगे थोर, त्याची भाषणे
द्रव्यशुल्काने सुरू हो, दक्षिणेने सांगता...

बौद्धिकाचा आव मोठा पुस्तकी विद्येमुळे,
चामडीला का बचावी संकटाला पाहता...

छद्म प्रेमाची दुकाने लागली चोहीकडे,
आटते ते प्रेम कैसे स्वार्थ त्यांचा संपता...

रात्र होता जी विरूनी जाय, जाणीवेत ना,
त्या तनूला सत्य कैसे, स्वप्न का ना मानता...


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ऊन्ह तापे रे दुपारी, चालणे टाळायचे का,

फूल कोमेजून गेले, ते तरी माळायचे का?

धान्य कोठारात नासे, पोखरूनी कीड लागे,
हाय, पैसा वाचवाया जोंधळे चाळायचे का?

वाघबच्चा अंगणी ये, वाट त्याला सापडेना,
जीव लावाया दयेने पोसुनी पाळायचे का?

चूल पेटेना कशीही, लाकडे ओली म्हणूनी,
चंदनाचे खोड आहे कोरडे, जाळायचे का?

कोण मोठा धाकटा रे, शिक्षणाने वा पदाने,
मोल पैशाने करूनी माणसा टाळायचे का?

लौकिकाचा मोह वेडा, या जगाला जिंकण्याचा,

दैव नाही साथ द्याया, खंगुनी वाळायचे का?

देव भावाचा भुकेला, त्यास प्रेमाने भजावे,
उग्र कष्टाने तनूला वावगे पोळायचे का?

कसला हा संसार..झालं बंद आता देवा कसला रं आधार .

कुठला रस्ता, कुठली वळणं


कसला हा अंधार .....
कसल्या भिंती, कसलं घरटं
कसला हा संसार .....
कापरा वारा बेभानं
सारखा घाली थैमान रं
जगण्याच्या या वाटंवरती
दैवा चे बी वारं
झालं बंद आता देवा कसला रं आधार
चालून थकलं पाऊल आता
थांबतं मनात समधं काही
उन्हं उन्हं झालं झाड पाखराचं
सावली कुठचं  आज न्हाई
वणव्याच्या ज्वालांनी घेरल्या दिशा
ठिणग्यांनी सावल्या पेटल्या जशा
जगण्या मरणाचा अवतार
जल्माची सा-या संग कहाणी
तळाती तुटलेल्या रेषा
फिरत्यात सर नशिबाचं फेर


जगत्याची वणवणती भाषा
कळला न पिरतीचा अर्थ हा कुणा
हसण्यावर नसण्याचा सूड का पुन्हा
जगण्या मरणाचा अवतार