Sunday, March 24, 2013

मगर हम हमेशा तुम्हारे रहेंगे...चले आज दोनों, जाने कहाँ..

न ये चाँद होगा न तारे रहेंगे
मगर हम हमेशा तुम्हारे रहेंगे

बिछड़कर चले जाएं तुमसे कहीं
तो ये ना समझना मुहब्बत नहीं
जहाँ भी रहे हम तुम्हारे रहेंगे

ज़माना अगर कुछ कहे भी तो क्या
मगर तुम न कहना हमें बेवफ़ा
तुम्हारे लिये हैं तुम्हारे रहेंगे

ये होगा सितम हमने पहले न जाना
बना भी न था, जल गया आशियाना
कहाँ अब मोहब्बत के मारे रहेंगे

न तुम हमें जानो, न हम तुम्हें जानें
मगर लगता है कुछ ऐसा, मेरा हमदम मिल गया

ये मौसम ये रात चुप है, ये होंठों की बात चुप है
खामोशी सुनाने लगी, है दास्तां
नज़र बन गई है, दिल की ज़ुबां

मुहब्बत के मोड़ पे हम, मिले सबको छोड़ के हम
धड़कते दिलों का ले के ये कारवां
चले आज दोनों, जाने कहाँ

तुम नहीं, गम नहीं, ख़ुशी नहीं ऐसी तन्हाई का जवाब नहीं

तुम नहीं, गम नहीं, ख़ुशी  नहीं
ऐसी तन्हाई का जवाब नहीं

गाहे-गाहे इसे पढ़ा कीजिये,
दिल से बेहतर कोई किताब नहीं

जाने किस-किस की मौत आई है
आज रुख पे कोई नकाब नहीं

वो करम उँगलियों पे गिनते हैं
ज़ुल्म का जिनके कुछ हिसाब नहीं


आज फिर दिल ने इक तमन्ना की
आज फिर दिल को हमने समझाया

तुम चले जाओगे तो सोचेंगे
हमने क्या खोया हमने क्या पाया

हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
वक़्त ने ऐसा गीत क्यों गाया 

उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी ..

उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी
हर शय जहाँ हसीन थी, हम तुम थे अजनबी

लेकर चले थे हम जिन्हें जन्नत के ख़्वाब थे
फूलों के ख़्वाब थे वो मुहब्बत के ख़्वाब थे
लेकिन कहाँ है इनमें वो, पहली सी दिलकशी


रहते थे हम हसीन ख़यालों की भीड़ में
उलझे हुए हैं आज सवालों की भीड़ में
आने लगी है याद वो फ़ुर्सत की हर घड़ी


शायद ये वक़्त हमसे कोई चाल चल गया
रिश्ता वफ़ा का और ही रंगो में ढल गया
अश्कों की चाँदनी से थी बेहतर वो धूप ही
..

ज़िन्दगी तेरे गम ने हमें रिश्ते नए समझाए...

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी
हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवालों से
परेशान हूँ मैं

जीने के लिए सोचा ही नहीं
दर्द संभालने होंगे
मुस्कुराये तो मुस्कुराने के
क़र्ज़ उतारने होंगे
मुस्कुराऊं कभी तो लगता है
जैसे होंठों पे क़र्ज़ रखा है
तुझसे...

ज़िन्दगी तेरे गम ने हमें
रिश्ते नए समझाए
मिले जो हमें धूप में मिले
छाँव के ठण्डे साये
तुझसे...

आज अगर भर आई है
बूंदे बरस जाएगी
कल क्या पता किनके लिए
आँखें तरस जाएगी
जाने कब गुम हुआ, कहाँ खोया
इक आंसू छुपा के रखा था
तुझसे...