Sunday, March 24, 2013

तुम नहीं, गम नहीं, ख़ुशी नहीं ऐसी तन्हाई का जवाब नहीं

तुम नहीं, गम नहीं, ख़ुशी  नहीं
ऐसी तन्हाई का जवाब नहीं

गाहे-गाहे इसे पढ़ा कीजिये,
दिल से बेहतर कोई किताब नहीं

जाने किस-किस की मौत आई है
आज रुख पे कोई नकाब नहीं

वो करम उँगलियों पे गिनते हैं
ज़ुल्म का जिनके कुछ हिसाब नहीं


आज फिर दिल ने इक तमन्ना की
आज फिर दिल को हमने समझाया

तुम चले जाओगे तो सोचेंगे
हमने क्या खोया हमने क्या पाया

हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
वक़्त ने ऐसा गीत क्यों गाया 

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हर गडी बदल रही रूप जिन्दगी...