Saturday, September 25, 2010

मासूम चेहरा

            मासूम चेहरा


मासूम चेहरा , निगाहे फरेबी
लबो पे हंसी और दिल में दगा है
मिले दोस्त जिसको यहाँ तेरे जैसा
उसे दुश्मनों की जरुरत क्या है !

दिल तोड़ दिया , क्यों इतना बता दे
फिर बाद मै बेवफा जो चाहे मुझको सजा दे
तेरे बेरुखिसे
परेशान हु में न आये
समज में ये क्या मंजर है !

जो भरता नहीं वो जख्म दिया है
मुझको नहीं प्यार को बदनाम तुने किया है
जिसे मैंने पूजा मसीहा
बनाके
 था ये पता पथारोंका बना है !

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हर गडी बदल रही रूप जिन्दगी...