कुछ खुशबुएँ , यादों के जंगल से बह चली
कुछ खिड़कियाँ, लम्हों के दस्तक पे खुल गयी
कुछ गीत पुराने रखे थे सिरहाने
कुछ सुर कहीं खोये थे बंदिश मिल गए
जीने के इशारे मिल गए
बिछड़े थे किनारे मिल गए
मेरी ज़िन्दगी मैं तेरी बारिश क्या हुई
मेरे रस्ते दरया बने बहने लगे
मेरी करवटों को तुने आके क्या छुआ
कहीं ख्वाब नींदों की गली रहने लगे
जीने के ...किनारे मिल गए
मेरी लोह हवाओं से झगड़कर ली उठी
मेरे हर अँधेरे को उजाले पी गए
तुने हस्कें मुझसे मुस्कुराने को कहा
मेरे मन के मौसम गुलमोहर से हो गए
जीने के ...किनारे मिल गए
कुछ खुशबुएँ , साँसों से साँसों में घुल गयी
कुछ खिदिक्याँ , आँखों ही आँखों में खुल गयी
कुछ प्यास अधूरी
कुछ श्याम सिंधूरी
कुछ रेशमी गुनाहों
मैं रेट ढल गए
जीने के इशारे मिल गए
बिछड़े थे किनारे मिल गए
मराठी लेख, कविता, उत्तम विचार, इंग्लिश, हिंदी.खूप सारे वाचण्यायोग:- हा ब्लोग फक्त विचारांचा टेवा आहे, कवितांच्या संग्रह आहे , गोष्टींच्या संग्रह आहे....याचा माझ्या व्यक्तिगत जीवनाशी काहीही संबंद नाही, कृपा करून याची नोंद घ्यावी ....अजून गोष्ट" " All Material Appearing in this blog are fictitious. any resemblance to real persons, living or dead is purely coincidental " :- Manoj Gobe
Wednesday, June 29, 2011
जीने के इशारे मिल गए, बिछड़े थे किनारे मिल गए |
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हर गडी बदल रही रूप जिन्दगी...