टुकडों में जी जाती है, जिंदगी कैसे,
ज़ख्मों की की जाती है, गिनती कैसे!
मेरा हर झूठ, बन जाता है सच,
इस सच पे लिखूं, शायरी कैसे!
हर तरफ़ अपनों की लगी है भीड़,
इस शोर को कहूँ, तन्हाई कैसे!
अन्दर कुछ, बाहर कुछ और हूँ मैं,
आईने में देखूं अपनी सच्चाई कैसे!
कहते हैं फकीरी में ताक़त गजब है,
कायस्थ तेरे भीतर चलाऊं सुई कैसे!
कैसे दिल को समजवो कैसे !
जो ये दुंद रहा है , उसे राह दिखाऊ कैसे ?
मेरे पास वक्त बहुत कम है,
एक तेरी ही आँख नम है।
इश्क को करने दो इन्तजार,
कामयाबी बस चार कदम है।
चुभे है इतने नश्तर सीनों में,
मुहब्बत ही आज का धरम है।
मैं निकला हूँ जीतने दुनिया,
दिल में प्यार, हाथ में कलम है।
एक तेरी बाहें मुझे है नामंजूर,
ये दिल नादान , इसको दुनियादारी सिखायो कैसे !
यहाँ सिर्फ प्यार का दिखावा होता है , ये बताऊ कैसे !
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हर गडी बदल रही रूप जिन्दगी...