Thursday, July 28, 2011

आनंदवनभुवनी

भक्तांसी रक्षिले मागे | आतां ही रक्षिते पहा |
भक्तांसी दिधले सर्वै | आनंदवनभुवनी ||
आरोग्य जाहाली काया | वैभवे सांडिली सीमा |
सार सर्वस्व देवाचे | आनंदवनभुवनी ||
देव सर्वस्व भक्तांचा | देव भक्त दुजे नसे |
संदेह तुटला मोठा | आनंदवनभुवनी ||
देव भक्त येक जाले |मिळाले सर्व जीव ही |
संतोष पावले तेथे | आनंदवनभुवनी ||
सामर्थ्ये यशकीर्तीची | प्रतापे सांडिली सीमा |
ब्रीदेंची दिधली सर्वे | आनंदवनभुवनी ||
राम कर्ता राम भोक्ता | रामराज्य भूमंडळी |
सर्वस्व मीच देवांचा |माझा देव कसा म्हणों ||
हेंच शोधूनी पहावे |राहावे निश्चळी सदा |
सार्थक श्रवणे होते | आनंदवनभुवनी ||
वेद शास्त्र धर्म चर्चा |पुराणे महात्में किती |
कवित्वे नूतने जीर्णे | आनंदवनभुवनी ||
गीत सगीत सामर्थ्ये | वाद्य कल्लोळ उठिला |
मिळाले सर्व अर्थार्थी | आनंदवनभुवनी ||
वेद तो मंद जाणावा | सिध्द आनंदवनभुवनी |
आतुळ महिमा तेथे |आनंदवनभुवनी ||
मानसी प्रचीत आली | शब्दी विश्वास वाटला |
कामना पुरती सर्वै | आनंदवनभुवनी ||
येथूनी वाचती सर्वै | ते ते सर्वत्र देखती |
सामर्थ्य काय बोलावे | आनंदवनभुवनी ||
उदंड ठेविली नामे | आपस्तुतीच मांडिली |
ऐसे हे बोलणे नाही | आनंदवनभुवनी ||
बोलणे वाउगे होते |चालणे पाहिजे बरे |
पुढे घडेल ते खरे | आनंदवनभुवनी ||
स्मरले लिहिले आहे | बोलता चालता हरी |
काये होईल पहावे | आनंदवनभुवनी ||
महिमा तो वर्णवेना | विशेष बहुतांपरी |
विद्यापीठ ते आहे | आनंदवनभुवनी ||
सर्वसद्या कला विद्या | न भूतो न भविष्यती |
वैराग्य जाहाले सर्वै |आनंदवन भुवनी ||
जय जय रघुवीर समर्थ !

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हर गडी बदल रही रूप जिन्दगी...