Thursday, May 2, 2013

वो क़हर, वो ग़ज़ब, वो जफ़ा मुझको याद है,


ज़िन्दग़ी की राह में टकरा गया कोई

इक रोशनी अँधेरे में दिखला गया कोई।

वो हादसा वो पहली मुलाक़ात क्या कहूँ,

कितनी अजब थी सूरत-ए-हालात क्या कहूँ।

वो क़हर, वो ग़ज़ब, वो जफ़ा मुझको याद है,

वो उसकी बेरुख़ी की अदा मुझको याद है।






मिटता नहीं है ज़ेहन से यूँ छा गया कोई।

पहले वो मुझको देखकर बरहम-सी हो गई,

फिर अपने ही हसीन ख़यालों में खो गई।

बेचारगी में मेरी उसे रहम आ गया,

शायद मेरे तड़पने का अंदाज़ भा गया।
साँसों से भी क़रीब मेरे आ गया कोई।

अब उस दिल-ए-तबाह की हालत ना पूछिए

बेनाम आरज़ुओं की लज़्ज़त ना पूछिए।

इक अजनबी था रूह का अरमान बन गया

इक हादसा था प्यार का उनवान बन गया।

मंज़िल का रास्ता मुझे दिखला गया कोई।

No comments:

Post a Comment

हर गडी बदल रही रूप जिन्दगी...