Friday, November 9, 2012

मुजको लम्बी उम्र की दुवा ना दो जीतनी गुजारी न गवार गुजारी








मुजको लम्बी उम्र  की दुवा ना दो 
जीतनी गुजारी न गवार  गुजारी 

तुम्ही ने मेरी जिन्दगी ख़राब की है 
तुम्हारे लिए ही मैंने ये  हालत की हे 


मैंने तोह तुमसे प्यार किया , चाहत पे यकीं दिलदार किया 
मैं पागल आशिक बेचारा , मुझे हंस हंसके तुमने मारा 
ये अश्क पता पहले होता , होकर बर्बाद ना  मैं रोता 

कोई न पूछे क्यों मई दर्द मैं क्यों हु , आब मैं दर्द लेके मैं जीता हु 
जो अददत पड़ गयी दर्द मई जीने की , तोह आग बुझी मेरे सिने  की 
इन हाथो मैं जब जाम मिला, मुझको थोडा आराम मिला 

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हर गडी बदल रही रूप जिन्दगी...